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कंगना रनौत - एक विवेकशील उल्लेखनीय बुद्धिमान खूबसूरत महिला

कंगना को जब मैंने पहली बार पर्दे पर देखा तो मुझे समझ नहीं आ रहा था की ये कौन है? तब या रानी मुखर्जी या प्रीति जिंटा या ऐश्वर्या रॉय को में जानता था और इमरान हाशमी काफी चर्चित हो चुके थे (आपको पता है क्यों!) तब में १७ साल था, और बात है २००६ की जब गैंगस्टर रिलीज़ हुई थी। शुरुवात में मुझे नही मज़ा आ रहा था क्योंकि में नहीं जानता था कंगना के बारे में और फिल्म देखने आना मुझे ग़लती लग रही थी। फिर फिल्म शुरू हुई और बस में खो गया! मुझे याद है तब एक मित्र हुआ करते थे जिनका नाम अरविन्द था और मैंने उनको कहा था की ये लड़की बहुत अलग है इसका अंदाज़ निराला है। और आज आप सभी को दिख रहा है अंदाज़ 'कंगना जी' का।


हिंदी में लिखने का प्रयास कर रहा हूँ क्योंकि कंगना जी को हिंदी बोलते हुए सुनता हूँ तो लगता है बाकि के लोग क्यों भूल गए हैं? देश के बारे में उनके जो विचार है वह विचारणीय हैं और जिस तरह से वह अपनी बात रखती है वह क़ाबिले तारीफ़ है। में ख़ुद को उनका प्रशंशक नहीं अपितु मित्र कहूंगा क्योंकि मित्र की एक अपनी ज़िम्मेदारी होती है और में ज़िम्मेदार हूँ अपनी कही गयी बातों के लिए।

कंगना को समझना हर किसी के बस की बात नहीं वह अलग हैं और वही उन्हें विशेष बनता है, में पिछले कई महीनो से सोच रहा था की लिखू उनके बारे में, लेकिन किसी तरह से इस कार्य को कर नहीं पाया। हालाँकि मैं पत्रकार नहीं हूँ फिर भी कहना चाहूंगा की, पत्रकारिता करने वालो को अपनी लिखाई पर ध्यान देना चाहिए, और निष्पक्ष होकर लिखना चाहिए। और ये भी कहना चाहूंगा की कुछ अच्छे शब्द अपने इस्तेमाल में लाएं। और एक प्रारंभिक स्तर पर बात को समझने का प्रयास करें और फिर लिखे या वीडियो बनाएं या इंटरव्यू लें (फ़रीदून जी)।
कंगना एक सशक्त महिला है यही काफी है किसी की भी परेशानी का कारण बनने के लिए, आपको भी पता है!
यह बात न करते हुए की कौन बुराई कर रहा है कंगना और उनकी फिल्म मणिकर्णिका की, हम ध्यान देंगे कंगना की विशेषता, गुणवत्ता और अपने कार्यक्षमता पर! क्यों अपना समय बर्बाद करें किसी की आलोचना और निंदा में?  सभ्य हैं तो सभ्य रहें, और यही सही मार्ग है विवेकशीलता का।

तो सबसे पहले कंगना जी एक कलाकार हैं और अपने कार्यक्षेत्र में बहुत ही संजीदा और समर्पित महिला है और यह सभी का मानना है।  एक दर्शक के रूप में में बस यहीं देखता हूँ की कौन कलाकार दिए गए पात्र और चरित्र को ईमानदारी से जीता है फिर वह अगर ह्रितिक रोशन भी हैं तो में तारीफ़ करूँगा (कोई मिल गया, धूम २, जोधा- अकबर क़ाबिले तारीफ़ हैं ) बाकि सभी का व्यग्तिगत जीवन है और ये आप उन्ही पर छोड़ दें तो उचित रहेगा. नहीं तो आप भी परेशां और आपके पास-पड़ोस, मित्र, सहकर्मी और जाने कौन-कौन की आपस में भिड़ंत भी न होगी। (देख चूका हूँ मैं यह सब)

झूठ या सच जो भी हो कंगना बोलती है और अपनी बात पर अड़िग रहती हैं, वह दोगली नहीं हैं (आजकल के ज़माने में मुझे ९०% लोग दोगले मिले हैं और शायद आपको भी ) कंगना ने एक पत्रकार से कहा की, "संविधान से हमारा तात्पर्य, एक दूसरे से किये गए वादे यानि भरोसा देने से है की हम एक दूसरे का समर्थन करेंगे"। क्या आपने किसी को सुना है जो संविधान की व्याख्या इस तरह करे? कंगना एक बुद्धिमान महिला होने के साथ ही एक खूबसूरत महिला भी हैं और यही उनकी सबसे बड़ी विशेषता है और हाँ, "आपको भी पता है बस मानते नहीं जैसे माँ की नहीं मानते, पिता की नहीं मानते" (ऐसे ही नहीं बोल रहा हूँ सोचकर और समझकर बोल रहा हूँ।)

एक महिला अगर विवेकशील हो और बुद्धिमान हो और उससे भी ऊपर अगर वह कल्पनाशील भी हो तो फिर तो वह सब होना लाज़मी है जो आप देख, पढ़ और सुन रहे हैं, एक महिला ने अपने पहली ही फिल्म को इतनी अच्छे से निर्देशित कर दिया और एडिटिंग, संगीत और मार्केटिंग सब कुछ अकेले संभाल रही हैं कभी सोचा आपने आखिर कैसे? हम तो थक जाते, नहीं? क्योंकि कंगना जी अपने कार्य से प्रेम करती है और अधिकार और कर्त्तव्य के बारे में तो में क्या बताऊ! नैतिकता के आधार पर भी अगर हम  देखें तो वह सभी का ध्यान रखती है फिर वह चाहे पारिवारिक हो या पेशेवर (उन्होंने मणिकर्णिका के पीछे काम कर रहे सेकड़ो लोगो को सम्मान दिया और उनका मूल्यांकन करके सभी को समझाया भी) ये भी पहली बार था। बहुत कुछ पहली बार हुआ है भारतीय फिल्म उद्द्योग में और मुझे इस बदलाव से ख़ुशी है बहुत ख़ुशी।

अब कभी भी कोई भी किसी के भी बारे में कुछ कहने से पहले सोचें की आप अपने जीवन में कितने सही और गलत हैं और आपके जीवन की क्या उपलब्धियां हैं? सब कुछ आपको अपने आप क्लियर हो जायेगा।

अंत में यही कहूंगा की भेड़-चाल को ना अपनाकर स्वम् से आप निश्चित करें की कंगना जी की फिल्म मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झाँसी किस तरह की फिल्म है और तब आप अपनी बात कहें जो आपको सही मायनो में लगता है वह ख़ुशी अलग ही होती है जब हमको जो लगता है हम वही बोलते है। हालाँकि ऐसे लोग काम हैं पर कोशिश कर सकते हैं ना ?

कंगना जी को बहुत बधाइयां और मैं धन्यवाद करता हूँ उनको की उन्होंने इस फिल्म को बनाया और इतने अच्छे से बनाया! साथ की कमल जैन, ज़ी स्टूडियो और कृष जी का भी धन्यवाद। फिल्म से जुड़े हर व्यक्ति का धन्यवाद, आप झाँसी की रानी को किताबों से उठाकर परदे पर लेकर आये और मैं आभारी हूँ आपका !

धन्यवाद,

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